मैं समय हूँ

मैं समय हूँ. मैं तुम्हारी लेता रहूंगा.

नाम मेरे अनेक हैं: काल, वक़्त, एज, एरा, टाइम, वगैराह, वगैराह. काम मेरा सिर्फ एक: तुम्हारी लेते रहना. और भैया किसी भी नाम से बुला लो, तुम्हारे लिये तो हमेशा खराब ही रहता हूँ. मसलन कोइ ये पूछ ले की भाईसाब टाइम क्या हो रहा है? तुम यही बोलते हो की भैया टाइम बहुत ही खराब चल रहा है. मगर कुछ भी हो, there is no reason on earth to name your son, Kaal. (cue: Krrish 3)

अंग्रेज़ी के Tense में लोग ऐसे tense हुए हैं कि Past Participle Tense और Present Continuous Tense में उलझ के रह गये हैं. वो तो CBSE ने भाषा के प्रयोग पे ध्यान दिया है नही तो बहुत से बच्चे यही सोचते रहते की कौन हा फोर्मुला लगा के Tense के सवालों को हल करें.

ये सास लोग कभी बहु हुआ करती थी. सुंदर, सुशील, नारि शक्ति की प्रतीक, १५ किलो मेक-अप  लगाने वाली, ससुराल में रोज़ प्रतड़ित होने वाली बहु को खूसट, खूंखार, खतरनाक, २५ किलो मेक-अप लगाने और पोते की चाह रखने वाली सास में तब्दिल मैंने ही किया हैं.  एक केयरफ्री, सपनों की उड़ान लेने वाले हट्टे-कट्टे नौजवान को बीवी की डांट सुनकर चुप हो जाने वाले शिथिल बुढऊ मे मैंने ही बदला है. किंग ओफ गूड टाइम्स जैसे लोग, जो बहुत उड़ते हैं, उनको मैंने नीचे बीठा दिया. जो खुद को संसार का खुदा मानते थे, उन्हे मैंने धूल मे बदल दिया. सिकंदर, अशोक, डायनोसौर सब आज मेरे आगे हार गये.

भाषाविदों को तो मैं कुछ ज़्यादा ही प्रिय हूँ. अंग्रेज़ी, हिंदी, बांग्ला, उर्दु, हरेक भाषा के विषेशज्ञों ने मुझ पर ऐसे-ऐसे प्रयोग किये हैं की मैं क्या बताऊं. Time and tide waits for none, Time is the greatest healer, समय की कीमत पहचानो, वक़्त-वक़्त की बात है और ऐसे ही कई मुहावरों से मुझे सम्मनित करने की कोशिश है, मगर मुझे शब्दों से मापने की असफल कोशिश की है. लेकिन मैं ना तो किसी से बन्ध पाया हूं और ना ही किसी ने मुझे रोका है.

मैं जेनेरली आराम से लोगों की ले लेता हुं. मगर भरतीय रेल ने तो ऐसा बदनाम किया हुआ है कि क्या बोलुं. कभी समय से काम कर लें तो लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं की भैया आज ऐसा क्या हुआ की समय को इतनी इज़्ज़त दे दी. अरे बेवकूफों क्यों मेरे इज़्ज़त का फालूदा निकाल रहे हो. कभी तो कुछ ऐसा करो की अपन दोनों की इज़्ज़त में इज़ाफा हो. मगर नही. लेट से चलना तो आपकी अदा है. बेटे बहुत गंदी तरह से मारुंगा. डोंट ऐंग्री मी गाईज़.

वैज्ञानिकों ने मुझको भी समझ्ने की कोशिश की है और कुछ तो मुझे अनेक dimesions में से एक समझते हैं और कहते हैं की मैं relative हूँ. मूर्खों मैं किसी का सगा नही. ये समझ्ने में कितना वक़्त लोगे? क्या कहा? अच्छा वो वाला रिलेटिव नही, दूसरा वाला? ओके. कविओं ने इसी चीज़ की बहुत ही रोमांटिक तरीके से व्याख्या की है. अर्ज़ किया है, “गर्म तवे पे बिताया गया ५ मिनट १ घंटे के बराबर लगता है, वहीं प्रेयसी की बाहों में बिताया गया १ घंटा केवल ५ मिनट के बराबर ही लगता है. Christopher Nolan ने बहुत अच्छी फिल्म बनाई थी मुझ पर. इतनी अच्छी की मेरा माथा ही घूम गया. लेकिन लाज बचाने के लिए मैं भी भीड़ चाल चल लेता हुं और यही कहता हुं की बेहतरीन सनीमा थी. ये बात अलग है की कुछ भी रत्ती भर नही बुझाया हमको.


बोटमलाइन तो यही है की मैं पलटी लेता रहुंगा. और इसी चक्कर में तुम्हारी भी लेता रहुंगा. अब या तो डार्विन के बच्चे बन कर मेरे साथ बदलते रहो या तो उस ढीठ cockroach के तरह बन जाओ. उसने तो हद ही मचा दी है...कुछ भी कर लो, साला मरने का नाम ही नही लेता. 

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