अकेले रह कर सीखा है मैंने
अकेले रह कर सीखा है मैंने खामोशी से बातें करना
एक दोस्त है मिला जो सुनता है मेरी कहनियाँ
एक दोस्त है मिला जो समझता दिलों कि रवानियाँ
ये खामोशी भी कुछ बोलती नही, चुप-चाप रहती है
उसकी आवाज़ सुनने की दिल मे आस रहती है
उसके मन की ख्वाहीश ये चुप्पी बयां करती है
उसको छूने पे रोक ये हया करती है
मगर उसके साथ बिताए लम्हें हमेशा खास रहती हैं
खामोशी हमेशा इस दिल के पास रहती है
अकेले रह कर सीखा है मैंने आइने से बातें करना
एक चेहरा है पहचाना सा,
कुछ जज़्बात हैं जाने से
एहसास, मगर, अलग सा है, यादें हैं कुछ अंजाने
से
आइना कभी झूठ बोलती नही,
सिर्फ सच सुनाती है
अकेले होने का एहसास बहुत खूब दिलाती है
एक चेहरा ढूंढता हुं उसकी गहरायियों में, आज-कल जो दिखता नही
कुछ लम्हें मांगता हुं उससे, जो बाज़ारों में बिकता नही
कुछ लम्हें मांगता हुं उससे, जो बाज़ारों में बिकता नही
लेकिन ये कहती है कि खोज लुं मैं खुद को इसमे
पा लुं सब कुछ ज़िंदगी मे, खो कर खुद को इसमे
अकेले रह कर सीखा है मैंने मौजों मे रहना
अकेले रह कर सीखा है मैंने खुद से जीतना,
खुद से जीतना और खुद को जीतना
अकेले रह कर सीखा है मैंने खुदी में रहना
खुदी में रहना और खुशी में रहना
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