Posts

Showing posts from July, 2019

अमान

मेरी नज़रें तुम्हारी नज़रों को खोजती हैं, टटोलती हैं की देख लो एक मर्तबा मेरी ओर भी ज़ुबाँ तो मेरी काठ की है, बस निगाहें ही बोलती हैं पश्मीना सी कोमल तुम्हारी ज़ुल्फें इनमे ग़ुम ह...