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इतवार की शाम

याद तुम्हारी कुछ थमकर की आती हैं अब मेरे इतवार की शाम हो तुम नींद आज भी तुम्हारे सपनों के साथ ही टूटती है मेरे सुबह की आज़ान हो तुम और हर बात में तुम्हारी बात लबों पर आती है जैस...