पापा के साथ मेरे प्रयोग
सामन्यतः हमारे घरों में एक प्राणी पाया जाता है. नर वर्ग का यह प्राणी आपको कहीं भी दिख सकता है. परंतु बचपन में अधिकांशत: लोग इसे देख नही पाते. बचपन मे आपने इस प्राणी के बारे में सिर्फ किंवदंतियां ही सुनी होगी. क्युंकि जब ये प्राणी घर में प्रस्तुत होता है , तब आप सुप्तवस्था में होते हैं. कुछ भाग्यशाली लोगों को छुट्टी के दिन में इनको देखने का लाभ प्राप्त होता था. खैर मेरी कहानी में तो बहुत सालों तक मैं तो इस प्राणी के बारे में बस इतना ही जानता था की इसके दो पैर होते हैं. क्योंकि डर के मारे हिम्मत ही नही होती थी की नज़र उठा के देखा जाये की ये दिखता कैसा है. तो अपन तो बस शुतुर्मुर्ग कि तरह रेत में सर घुसा के यही आशा करते थे की जैसे हम इसे नही देख पा रहें हैं , वैसे ही ये भी हमें देखने में विफल रहे. इस प्राणी के वैसे तो कई नाम हैं , लेकिन इस लेख कि दृष्टि से हम इस प्राणी को पापा कहके ही सम्बोधित करेंगे. वन-टू-थ्री नामक चलचित्र में श्री डिमेलो(ज़) यादव(ज़) अपने आपको ‘ पापा ’ कहलवाते थे क्युंकि वो बस पाना जानते थे. लेकिन अपने अनुभव में तो हमने इन्हें बस देते हुए ही देखा है. जब छोटे थे तो ...