ये वक़्त भी गुज़र जाएगा
कभी खुद से , कभी खुदी से लड़ कर झगड़ कर , किस्मत से थक-हार कर बैठ जाना , सो लेना , थोड़ा रो लेना पर ज़हन में फिर उम्मीद के बीज बो लेना मगर हारना मत , ज़िंदगी की लड़ाई तू जीत जाएगा सब्र रख , के ये वक़्त भी गुज़र जाएगा होनी को तुम रोक नही सकते मगर होनी भी तुम्हे कहां रोक सकती है हार के बाद मिली जीत और ज़्यादा महकती है घनी-काली रात के बाद एक उज्ज्वल दोपहर आएगा घबरा मत , के ये वक़्त भी गुज़र जएगा जो हालात लगते आज बुरे हैं , शायद वो कल अच्छे लगेंगे अपने वीरान बगिया में भी गुल खिलने लगेंगे नतमस्तक लोगों से नही , चारों ओर दिग्विजय से नही जीत तेरी तब है , जब तू ‘ मैं ’ से जीत जाएगा कर्म कर , के ये वक़्त भी गुज़र जाएगा अगर चुनौती मिली है तो सर उठा अपना पथ प्रशस्त कर बवंडरों के थपेड़े झेल सके ऐसा चित्त को सशक्त कर विजयी होकर तु खुद एक नया सहर लाएगा मुस्कुरा , के ये वक़्त भी गुज़र जाएगा